क्या चाणक्य काल्पनिक है
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और उनके महामंत्री थे। चाणक्य का जन्म 375 ईसापूर्व और मृत्यु 283 ईसापूर्व में हुई थी । इनके पिता का नाम चणक था । इनका जन्म पाटलीपुत्र में हुवा था और ये वे तक्षशिला विश्वविद्यालय राजनीती शास्त्र के प्रमुख आचार्य थे । चाणक्य तक्षशिला (एक नगर जो रावलपिंडी के पास था) के निवासी थे। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है।
विष्णुपुराण, भागवत आदि पुराणों तथा कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथो में भी इसकी कथा बराबर मिलती है। बुद्धघोष की बनाई हुई विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है।
चाणक्य का जिक्र बौध्द ग्रंथ महावंश मे भी आया है | बौध्द ग्रंथ महावंश के उत्तरविहारट्ठकथा मे ही लिखा है वह चाणक्य ब्राह्मण थे और चन्द्रगुप्त क्षत्रिय थे।
■मोरियान खत्तियान वसजात सिरीधर|
चन्दगुत्तो ति पञ्ञात चणक्को ब्रह्मणा ततो||१६||महावंश
■नवामं घनान्दं तं घातेत्वा चणडकोधसा|
सकल जम्बुद्वीपस्मि रज्जे समिभिसिच्ञ सो||१७||महावंश
■हिन्दी अर्थ- मौर्यवंश नाम के क्षत्रियों में उत्पन्न श्री चंद्रगुप्त को चाणक्य नामक ब्राह्मण ने नवे घनानंद को चन्द्रगुप्त के हाथों मरवाकर संपूर्ण जम्मू दीप का राजा अभिषिक्त किया|
हिन्दू ग्रन्थ विष्णु पुराण में चाणक्य के बारे में कुछ जानकारी मिलती है और विष्णु पुराण की रचना भी मौर्यकाल में हुई थी इसलिए इसपे भरोसा किया जा सकता है ।
विष्णु-पुराण जिसमें कहा गया है—
■ततश्र नव चैतान्नन्दान कौटिल्यो ब्राह्मणस्समुद्धरिस्यति||२६|| बिष्णु-पुराण
■तेषा-मभावे मौर्याःपृथ्वीं भोक्ष्यन्ति||२७||बिष्णु-पुराण
■कौटिल्य एवं चन्द्रगुप्तमुत्पन्नं राज्येऽभिक्ष्यति||२८||बिष्णु-पुराण
■हिन्दी अर्थ - तदन्तर इन नव नंदो को कौटिल्य नामक एक ब्राह्मण मरवा देगा|
उसके अन्त होने के बाद मौर्य नृप राजा पृथ्वी पर राज्य भोगेंगे|
कौटिल्य ही मुरा से उत्पन्न चन्द्रगुप्त को राज्या-अभिषिक्त करेगा|
'शब्दकल्पद्रम' में चाणक्य के बारे में कहा है
“अस्तु कौटल्य इति वा कौटिल्य इति या चाणक्यस्य गोत्रनामधेयम् ”
■हिन्दी अर्थ - चाणक्य को कुतल गोत्र के कारन कौटिल्य भी कहा गया
चाणक्य के शिष्य कामंदक ने अपने 'नीतिसार' नामक ग्रंथ में लिखा है कि विष्णुगुप्त चाणक्य ने अपने बुद्धिबल से अर्थशास्त्र रूपी महोदधि को मथकर नीतिशास्त्र रूपी अमृत निकाला।
कुछ प्रश्न जो अक्सर लोग पूछते है
प्रश्न - क्या चाणक्य केवल तीन नामों से ही प्रचलित थे
उत्तर - जी नहीं चाणक्य जहाँ जाते थे अपना नाम बदल लेते थे ताकि उन्हें धनानंद पकड़ ना सके
हेमचंद का चाणक्य के बारे में यह श्लोक है:
वात्स्यायन मल्लनागः, कौटिल्यश्चणकात्मजः।
द्रामिलः पक्षिलस्वामी विष्णुगुप्तोगुलश्च सः॥
अर्थात – विष्णुगुप्त को वात्स्यायन, मलंग, कौटिल्य ,वारानक्, कात्यान , द्रविमल, पक्षिलस्वामी जैसे नामों से भी सम्बोधित किया जाता है
प्रश्न - चाणक्य_का_नाम_कौटिल्य_क्यों ?
उत्तर - कुटल वंश का होने के कारण चाणक्य को कौटिल्य नाम से बुलाया गया और इसका उल्लेख विष्णु पुराण में इस श्लोक में है —
तान्नदान् कौटल्यो ब्राह्मणस्समुद्धरिष्यति।
इसके अतिरिक्त इसकी पुष्टि कामन्दकीय नीतिशास्त्र में कहा गया है—
कौटल्य इति गोत्रनिबन्धना विष्णु गुप्तस्य संज्ञा
अर्थात विष्णुगुप्त को कौटिल्य नाम गोत्र के कारण मिला
प्रश्न - क्या_चाणक्य_ने_सिर्फ_अर्थशास्त्र_की_रचना_की ?
उत्तर - चाणक्य ने ज्योतिष के लिए — ‘विष्णुगुप्त_सिद्धांत’
आयुर्वेद पर एक ग्रंथ — ‘वैद्यजीवन’
नीतिशास्त्र के लिए — नीतिसार (कामन्दकने संग्रह किया)
समाज शास्त्र के लिए — चाणक्यनीति
इसके अलावा — वृद्धचाणक्य, लघुचाणक्य , मण्डल सिद्धांत , और सप्तक सिद्धान्त भी बहुत
महत्वपूर्ण चाणक्य की रचनाये है
प्रश्न - चाणक्य नाम कहा से मिला कौटिल्य क्यों ?
उत्तर - चाणक्य के पिता का नाम चणक था जिन्हे धनानंद ने मरवा दिया था और कौटिल्य को चाणक्य नाम उनके पिता के नाम चणक से मिला
प्रश्न – चाणक्य का नाम विष्णुगुप्त क्यों ?
उत्तर - चाणक्य का बचपन का नाम विष्णुगुप्त ही था जो इनके माता पिता ने रखा था
सनातन धर्म के लिए उन्होंने अनेको वैदिक ग्रंथो के भाष्य किये —
और ग्रंथों के अंत में कौटिल्येन कृतं शास्त्रम्’ तथा प्रत्येक अध्याय के अन्त में ‘इति कौटिलीयेशास्त्रे’ लिखकर अपना मत रखा है और अन्त में ‘इति कौटिल्य’ अर्थात् कौटिल्य का मत है लिखा है ।।
इन सभी चीज़ों से एक बात साबित होती है चन्द्रगुप्त के गुरु के बचपन का नाम विष्णुगुप्त था जो उनके पिता ने रखा था बाद में पिता चारक के मृत्यु के बाद इन्हें इनके पिता के नाम चरक से इन्हे लोग चाणक्य कहने लगे और कुतल गोत्र के कारण इन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है
अतः मेरा आपसे अनुरोध है की आप वामपंथियों के बहकावे में ना आये .. आपको भगवान ने सोचने समझने की शक्ति दी है आप बिना किसी सबूत के किसी पर विश्वास ना करें
Publisher – Hari Maurya
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