बौद्ध ग्रंथों से बुद्ध के अंतर्जातीय विवाह पर विचारों को देखते हैं -
बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तरनिकायपालि के पञ्चक निपात, ब्राह्मण वर्ग २० के सोणसुत्तं १ के अनुसार बुद्ध कहते हैं -
- सोणसुत्तं १, ब्राह्मण वग्गो २०, पञ्चक निपात, अंगुत्तरनिकाय पालि
यहां बुद्ध प्राचीन ब्राह्मणों के धर्मों की प्रशंसा करते हैं तथा आज के ब्राह्मणों के धर्मों (कर्मों) की निंदा करते हुए उसकी तुलना कुत्तों से करते हैं।
यहां पढ़कर ऐसा लग रहा है कि बुद्ध के समय में ब्राह्मण अंतर्जातीय विवाह सम्बन्ध रखने लगे थे। जिसपर बुद्ध ने उन्हें कुत्तों से भी गया - बीता बता दिया था। बुद्ध का कहना है कि प्राचीन ब्राह्मण पहले अपनी ही जाति की महिला से सम्बंध रखते थे। अन्य जातियों की महिलाओं से नहीं किंतु आजकल के ब्राह्मण अन्य जातियों की महिलाओं से भी सम्बंध रखते हैं। ये बात आज कल कुत्तों में पायी जाती है कि कुत्ते केवल स्वजाति से ही सम्बन्ध बनाते हैं, किंतु ब्राह्मणों में नहीं अर्थात् आज के ब्राह्मणों से कुत्ते श्रेष्ठ हैं। क्योंकि आजकल के ब्राह्मण अन्य जातीय महिलाओं से भी सम्बंध बनाते हैं।
यदि बुद्ध अंतर्जातीय विवाह के समर्थक होते तो वे इसकी तुलना प्राचीन ब्राह्मणों और कुत्तों से न करते, अतः बौद्धग्रंथानुसार बुद्ध अंतर्जातीय विवाह को हीन मानते थे। क्या अब नवबौद्ध बुद्ध को जातिवादी कह सकेगें?
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Reference in detail -
अंगुत्तरनिकाय
(20) 5 ब्राह्मणवग्गो
१. सोणसुत्तं
१९१. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, पोराणा ब्राह्मणधम्मा एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सन्ति, नो ब्राह्मणेसु। कतमे पञ्च? पुब्बे सुदं 1, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिंयेव गच्छन्ति, नो अब्राह्मणिं। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिम्पि गच्छन्ति, अब्राह्मणिम्पि गच्छन्ति। एतरहि, भिक्खवे, सुनखा सुनखिंयेव गच्छन्ति, नो असुनखिं। अयं, भिक्खवे, पठमो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु।
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अंगुत्तरनिकाय
(20) 5. ब्राह्मणवग्गो
1. सोणसुत्तं
020.01. भिक्षुओं, ये पांच ब्राह्मणों के प्राचीन गुण थे, जो अब कुत्तों में स्पष्ट हैं, लेकिन ब्राह्मणों में नहीं। क्या पांच?
भिक्षुओं, पहले ब्राह्मण केवल ब्राह्मण महिलाओं से संभोग करते थे, अब वे ब्राह्मण महिलाओं और गैर-ब्राह्मण महिलाओं के पास जाते हैं। वर्तमान में कुत्ते केवल कुतिया के पास जाते हैं और किसी के पास नहीं। भिक्षुओं, यह ब्राह्मणों का पहला प्राचीन गुण है, जो अब कुत्तों में स्पष्ट है, लेकिन ब्राह्मणों में नहीं।
संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें -
=> अंगुत्तरनिकाय पालि भाग
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