शिवाजी का पत्र-गद्दार मिर्जा राजा जयसिंह के नाम




शिवाजी का पत्र-गद्दार मिर्जा राजा जयसिंह के नाम :-
भारतीय इतिहास में दो ऐसे पत्र मिलते हैं जिन्हें दो विख्यात महापुरुषों ने दो कुख्यात व्यक्तिओं को लिखे थे .इनमे पहिला पत्र "जफरनामा "कहलाता है .जिसे श्री गुरु गोविन्द सिंह ने औरंगजेब को भाई दया सिंह के हाथों भेजा था .दूसरा पत्र शिवाजी ने आमेर के राजा जयसिंह को भेजा था .जो उसे 3 मार्च 1665 को मिल गया था.इन दोनों पत्रों में यह समानताएं हैं की दोनों फारसी भाषा में शेर के रूप में लिखे गएहैं .दोनों की प्रष्ट भूमि और विषय एक जैसी है .दोनों में देश और धर्म के प्रति अटूट प्रेम प्रकट किया गया है .

🌹🌹🌹इतिहास 🌹🌹:-

औरंगजेब चालाक और मक्कार था .उसने पाहिले तो शिवाजी से से मित्रता करनी चाही .और दोस्ती के बदले शिवाजी से 23 किले मांगे .लेकिन शिवाजी उसका प्रस्ताव ठुकराते हुए 1664 में सूरत पर हमला कर दिया और मुगलों की वह सारी संपत्ति लूट ली जो उनहोंने हिन्दुओं से लूटी थी.फिर औरंगजेब ने अपने मामा शाईश्ता खान को 40,000 की फ़ौज लेकर शिवाजी पर हमला करावा दिया .और शिवाजी ने शाईश्ता खान की पूना के लाल महल में उसकी उंगलियाँ काट दीं.और वह भाग गया फिर औरंगजेब ने जयसिंह को कहा की वह शिवाजी को परास्त कर दे .जयसिंह खुद को राम का वंशज मानता था .शिवाजी को इसकी खबर मिल गयी थी जब उन्हें पता चला की औरंगजेब हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाना चाहता है .जिस से दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे .तब शिवाजी ने जयसिंह को समझाने के लिए जो पत्र भेजा था ,उसके कुछ अंश हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है हिंदी अनुवाद के साथ-

🌹🌹शिवाजी द्वारा भेजा गया पत्र🌹🌹 :-

1-"जिगरबंद फर्जानाये रामचंद -ज़ि तो गर्दने राजापूतां बुलंद" .
हे रामचंद्र के वंशज ,तुमसे तो क्षत्रिओं की इज्जत उंची हो रही है .

2 -"शुनीदम कि बर कस्दे मन आमदी -ब फ़तहे दयारे दकन आमदी ".
सूना है तुम दखन कि तरफ हमले के लिए आ रहे हो 

3 -"न दानी मगर कि ईं सियाही शवद-कज ईं मुल्को दीं रा तबाही शवद" ..
तुम क्या यह नही जानते कि इस से देश और धर्म बर्बाद हो जाएगा.

4 -"बगर चारा साजम ब तेगोतबर -दो जानिब रसद हिंदुआं रा जरर."
अगर मैं अपनी तलवार का प्रयोग करूंगा तो दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे 

5 -"बि बायद कि बर दुश्मने दीं ज़नी-बुनी बेख इस्लाम रा बर कुनी" .
उचित तो यह होता कि आप धर्म दे दुश्मन इस्लाम की जड़ उखाड़ देते
 
6 -"बिदानी कि बर हिन्दुआने दीगर -न यामद चि अज दस्त आं कीनावर" .
आपको पता नहीं कि इस कपटी ने हिन्दुओं  पर क्या क्या अत्याचार किये है 

7 -"ज़ि पासे वफ़ा गर बिदानी सखुन -चि कर्दी ब शाहे जहां याद कुन" 
इस आदमी की वफादारी से क्या फ़ायदा .तुम्हें पता नही कि इसने बाप शाहजहाँ के साथ क्या किया ?

8 -"मिरा ज़हद बायद फरावां नमूद -पये हिन्दियो हिंद दीने हिनूद" 
हमें मिल कर हिंद देश हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के लिए लड़ाना चाहिए 

9 -"ब शमशीरो तदबीर आबे दहम -ब तुर्की बतुर्की जवाबे दहम" .
हमें अपनी तलवार और तदबीर से दुश्मन को जैसे को तैसा जवाब देना चाहिए 

10 -"तराज़ेम राहे सुए काम ख्वेश -फरोज़ेम दर दोजहाँ नाम ख्वेश "
अगर आप मेरी सलाह मानेंगे  तो आपका लोक परलोक नाम होगा .
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इस पत्र से आप खुद अंदाजा कर सकते है .शिवाजी का देश और धर्म के साथ हिन्दुओ के प्रति कितना लगाव था .हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम उनके अनुयायी है .हमें उनके जीवन से सीखना चाहिए .तभी हम सच्चे देशभक्त बन सकते हैं

Note- Confuse  न हो मिर्जा राजा जयसिंह (15 जुलाई, 1611 – 28 अगस्त, 1667) और सवाई जयसिंह या द्वितीय जयसिंह  (०३ नवम्बर १६८८ - २१ सितम्बर १७४३)   दोनों अलग अलग पात्र है अलग अलग समय पर पैदा हुवे है.
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