बुद्ध और बौध्य धर्म में जातिवाद



बुद्ध और बौध्य धर्म में जातिवाद

1 - बौध्य धर्म में जितने भी बुद्ध हुवे सब ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में हुवे है-

आज कल कुछ लोग अज्ञानतावश बौध्य धर्म को दलितों का हितैषी समझने की भूल कर रहे है और धर्म बदल रहे है इन लोगो के ये जानकारी होना जरुरी है की बौध्य के अनुसार बोधिसत्व कभी शूद्र कुल में पैदा नहीं होते-
महाबोधिवंश के अनुसार 28 बार बुद्ध का जन्म हुवा है ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में और भविष्य में बुद्धा फिर से मैत्रेय ( ब्राह्मण) नाम से जन्म लेंगे-:-


1-Trsnamkara Buddha ---- क्षत्रिय
2-Medhamkara Buddha ---क्षत्रिय
3-Śaranamkara Buddha ..ब्राह्मण
4-Dīpamkara Buddha ----ब्राह्मण
5-Kaundinya Buddha ---- क्षत्रिय
6-Mamgala Buddha ----- ब्राह्मण
7-Sumanas Buddha ------ क्षत्रिय
8-Raivata Buddha --------- ब्राह्मण
9-Sobhita Buddha ----------क्षत्रिय
10-Anomadassi Buddha--- ब्राह्मण
11-Padma Buddha-----------क्षत्रिय
12-Narada Buddha ----------क्षत्रिय
13-Padmottara Buddha---- क्षत्रिय
14-Sumedha Buddha -------क्षत्रिय
15-Sujata Buddha...............क्षत्रिय
16-Piyadassi Buddha ------ब्राह्मण
17-Atthadassi Buddha ----क्षत्रिय
18--Dhammadassi Buddha-क्षत्रिय
19-Siddhattha Buddha----- ब्राह्मण
20-Tisya Buddha --------- क्षत्रिय
21-Pusya Buddha -------- क्षत्रिय
22-Vipassi Buddha -------- क्षत्रिय
23-Sikhi Buddha ----------- क्षत्रिय
24-Visvabhu Buddha ----- क्षत्रिय
25-Krakucchanda Buddha-ब्राह्मण
26-Kanakamuni Buddha---ब्राह्मण
27-Kasyapa Buddha -------ब्राह्मण
28-Gautam Buddha -------क्षत्रिय
29-Maitreya Buddha ----- ब्राह्मण

आप सोच रहे होंगे की बुद्ध केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल में ही क्यों पैदा होते है इसका जवाब हमें बौध्य ग्रन्थ ललितविस्तार से मिलता है--

 न बोधिसत्त्वा हीनकुलेषूपपद्यन्ते चण्डालकुलेषु वा वेणुकारकुले वा रथकारकुले वा पुष्कसकुले वा। अथ तर्हि कुलद्वये एवोपपद्यन्ते ब्राह्मणकुले क्षत्रियकुले च। तत्र यदा ब्राह्मणगुरुको लोको भवति, तदा ब्राह्मणकुले उपपद्यन्ते। यदा क्षत्रियगुरुको लोको भवति, तदा क्षत्रियकुले उपपद्यन्ते। एतर्हि भिक्षवः क्षत्रियगुरुको लोकः। तस्माद्बोधिसत्त्वाः क्षत्रियकुले उपपद्यन्ते। तमर्थं च संप्रतीत्य बोधिसत्त्वस्तुषितवरभवनस्थश्चत्वारि महाविलोकितानि विलोकयति स्म॥

अर्थात - बोधिसत्व हीनकुलो में ,चांडाल कुलो में ,रथकार कुलो में ,निषाद कुलो में उत्पन्न नही होते है ,किन्तु दो ही कुलो ब्राह्मण कुल और क्षत्रिय कुलो में ही होते है ,जब लोक में ब्राह्मणो का वर्चस्व हो तब ब्राहमण कुल में और जब क्षत्रियों का वर्चस्व हो तब क्षत्रियो कुल में उत्पन्न होते है | ”
– ललितविस्तार ३/२६ (पृष्ठ ६०-६१ )


2 - अब हम कुछ बौध्य धर्म की नीच और उच्च बौध्य जातियों की के विषय पर चर्चा करते है - 
उच्च जाती के बौध्य -  हीनयान , महायान , वज्रयान , भीमयान , थेरवाड , गरा , दरा , बेता , बेदा , फल्पा , थल्पा ,  जोम्बा , बोडो , नोनो 

नीच जाती के बौध्य - यांग्बान ,बुराकुमिन ,पयाक्युन, बीकजोंग , जिआंमिन , रोधियास , राग्यब्पा , वज्रधरा , मोन , गराबा
यह तो बौद्ध धर्म की ऐसी अछूत जातियाँ हैं जिनका किसी भी बौद्ध मंदिर में प्रवेश तक वर्जित है


3 - बौध्य ग्रन्थ सुत्तपिटक में मौजूद बुद्धा के  द्वारा एक जातिगत भेदभाव की घटना -
” एक अम्बष्ठ नामक ब्राह्मण शाक्यो के नगर कपिलवस्तु में गये वहा उन्हें किसी भी शाक्य ने सत्कार नही किया और वो जिसके घर जाते वहा से भगा देते थे | उन्हें शाक्य लोगो ने अपमानित किया | इसी बात कि शिकायत ले कर अम्बष्ठ बुद्ध के पास जाते है |
अब देखो बुद्ध ने कैसा जवाब दिया –
बुद्ध – गौरेया भी ,अम्बष्ठ ,अपने घोसले पर स्वच्छन्द आलाप करती है ,कपिलवस्तु तो शाक्यो का अपना घर है | अम्बष्ठ ,इस थोड़ी सी बात से तुम्हे अमर्ष नही करना चाहिए |”
अमर्ष -विलाप
इसी सुत्त में आगे बुद्ध कहते है –
” स्त्री  तथा पुरुष कि और से क्षत्रिय ही श्रेष्ठ है ,ब्राह्मण हीन है |”
” गोत्र लेकर चलने वाले जनों में क्षत्रिय ही श्रेष्ठ है |”
  – अम्बट्ठसुत्त ,सुत्तपिटक -दीर्घनिकाय

अब देखिये शुद्रो को मन्दिर में प्रवेश का निषेध ,अपने घर में आने का निषेध उच्च जातिय लोग करते है अगर इसी विषय पर  बुद्ध कि बात बोले कि ” मन्दिर ,घर ,कुआ आदि सवर्णों कि अपनी सम्पति  है इस थोड़ी सी बात पर अम्बेडकरवादियो को विलाप नही ध्यान नही | शुद्रो को नीचा समझने का आरोप लगाते रहते लेकिन उसी तरह कि बात बुद्ध ने कही तो किसी का ध्यान नही |     


 4  - बुद्ध के प्रथम 5 शिष्य में 4 ब्राह्मण , बुद्ध के प्रिय शिष्य अग्निहोत्र ब्राह्मण , प्रथम द्वितीय तृतीय बौद्ध संगतियों के आयोजक ब्राह्मण , बौद्ध विहारों के लिए सर्वाधिक भूमि दान करने वाले ब्राह्मण , सभी बौद्ध साहित्यों के रचनाकार ब्राह्मण , बौद्ध धम्म के सभी सम्प्रदायो यथा महायान हीनयान और बजरायन के सूत्रधार भी ब्राह्मण ,, तो क्या समझे आधुनिक बौद्ध धर्म की नींव ही टिकी है ब्राह्मण पर अगर इस धर्म से ब्राह्मणों के योगदान को निकाल कर फेंक दे , बौद्ध धर्म में कुछ भी नही बचेगा क्यों की यह धर्म ही ब्राह्मणों का बनाया हुवा है।     


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