हिन्दू धर्म में नारी का स्थान

 



हिन्दू धर्म औरतों को पूरा सम्मान और अधिकार देता है :-

महाभारत से प्रमाण -
"एक बेटी और एक बहू के बीच कोई अंतर नहीं है " .
(महाभारत 4 /72/6)
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वाल्मीकि रामायण से प्रमाण -
वाल्मीकि रामायण में माता सीता श्री राम के पीछे पीछे घूंघट मे चलने वाली सामान्य स्त्री नहीं हैं बल्कि वो श्रीराम के आगे आगे चलती हैं –
राम और लक्ष्मण यमुना नदी के किनारे पर चलने लगे और इस बार फिर माता सीता उनमें सबसे आगे चल रही थीं ।
( वाल्मीकि रामायण .2/55/12)
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मनुस्मृति से प्रमाण -
1-जिस समाज या परिवार में स्त्रियों पूजा होती है , वहां देवता और सुख़- समृद्धि निवास करते हैं और जहां इनका सम्मान नहीं होता, वहां अनादर करने वालों के सभी काम निष्फल हो जाते हैं।(मनुस्मृति 3/56)
2-पिता, भाई, पति या देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री या भाभी को हमेशा यथायोग्य मधुर-भाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रखना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार का क्लेश नहीं पहुंचने देना चाहिए। -(मनुस्मृति 3/55)
3- जिस कुल में स्त्रियां अपने पति के गलत आचरण, अत्याचार या व्यभिचार आदि दोषों से पीड़ित रहती हैं। वह कुल शीघ्र नाश को प्राप्त हो जाता है और जिस कुल में स्त्री-जन पुरुषों के उत्तम आचरणों से प्रसन्न रहती हैं, वह कुल सर्वदा बढ़ता रहता है। -(मनुस्मृति 3/57)
4-जो पुरुष, अपनी पत्नी को प्रसन्न नहीं रखता, उसका पूरा परिवार ही अप्रसन्न और शोकग्रस्त रहता है और यदि पत्नी प्रसन्न है तो सारा परिवार प्रसन्न रहता है। – (मनुस्मृति 3/62)
5- पुरुष और स्त्री एक-दूसरे के बिना अपूर्ण हैं, अत: साधारण से साधारण धर्मकार्य का अनुष्ठान भी पति-पत्नी दोनों को मिलकर करना चाहिए।-(मनुस्मृति 9/96)
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यजुर्वेद से प्रमाण -
1-स्त्रियों की सेना हो और उन्हें युद्ध में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें
(यजुर्वेद 17/ 45)
2-स्त्री और पुरुष दोनों को शासक चुने जाने का समान अधिकार है
(यजुर्वेद 20/9 )
3-शासकों की स्त्रियां अन्यों को राजनीति की शिक्षा दें | जैसे राजा, लोगों का न्याय करते हैं वैसे ही रानी भी न्याय करने वाली हों |
(यजुर्वेद 10.26 )
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अथर्ववेद से प्रमाण -
1-बह्मचर्य सूक्त -इसमें कन्याओं को बह्मचर्य और विद्याग्रहण के पश्चात् ही विवाह के लिए कहा गया है
(अथर्ववेद - 11/5/18)
2-हे स्त्री! तुम हमें बुद्धि से धन दो विदुषी,सम्माननीय, विचारशील, प्रसन्नचित्त स्त्री सम्पत्ति की रक्षा और वृद्धि करके घर में सुख लाती है
(अथर्ववेद - 7/48/2)
3-हे वधु ऐश्वर्य की अटूट नाव पर चढ़ कर अपने पति को सफलता के तट पर ले चलो
(अथर्ववेद - 2/36/5).
4-हे पत्नी अपने सौभाग्य के लिए मैं तुम्हारा हाथ पकड़ता हूँ।
(अथर्ववेद -14/1/50)
5-सुनिश्चित करें कि ये महिलाएं कभी भी दुःख से रोएं नहीं। उन्हें सभी बीमारियों से मुक्त रखें और उन्हें पहनने के लिए दें।
(अथर्ववेद -12/2/31)
6-हे पत्नी! अपने पति के परिवार कि रानी बनें और सभी की प्रबंधक बनें।
(अथर्ववेद -14/1/20)
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ॠग्वेद से प्रमाण -
1-हे पुरुषों और महिलाओं! एक विद्वान महिला जिसने व्याकरण, व्युत्पत्ति आदि के साथ-साथ एक, दो या चार वेदों या चार वेदों और चार उपवेदों का अभ्यास किया है या पढ़ाया है और पूरी दुनिया में ज्ञान फैलाती है और लोगों की अज्ञानता को दूर करती है, जो पूरे विश्व के लिए खुशी का स्रोत है। वेदों के सभी भागों का अध्ययन और शिक्षा देने वाली महिला सभी मनुष्यों के लिए प्रगति लाती है
(ॠग्वेद-1/164/41)
2-ऋग्वेद में अनेक ऋषिकाएँ न केवल वेदों को पढ़ती थी, उनके रहस्य को समझती थी अपितु उनका प्रचार भी करती थी जैसे सूक्त 10 /134, 10/40, 8/91, 10/95,10/107, 10/109, 10/154, 10/159,5/28 आदि जिनकी ऋषिकाएँ गोधा,घोषा, विश्ववारा, अपाला, उपनिषत्, निषत्, रोमशा आदि हुई हैं। ऋषिकायों को ब्रह्मवादिनी भी कहा जाता था और इनका नियमपूर्वक उपनयन, वेदाध्ययन, गायत्री मंत्र का उपदेश प्रदान आदि होता था। Writer - Hari Maurya

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