भारतीय संविधान के अनुसार हिंदू कौन हैं?

 (1) चलिए अनुच्छेद 330 में क्या लिखा ये जानते हैं:-


क्या अनुच्छेद 330-342 के अनुसार sc, st, obc हिंदू नहीं हैं?


आप चित्र में पढ़ सकते हैं कि अनुच्छेद 330 भारत की लोकसभा में अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण देता है। अतएव यह अनुच्छेद अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए भारतीय संसद में सीटों को आरक्षित करता है।

(2) अनुच्छेद 331 लोकसभा में आंग्ल-भारतीय का प्रतिनिधित्व करता है।

(3) अनुच्छेद 332 राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण की व्यवस्था करता है।

(4) अनुच्छेद 333 के अनुसार राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व का विधान किया गया है।

(5) अनुच्छेद 334 के अनुसार लोकसभा में और राज्यों की विधानसभा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व [सत्तर वर्ष] की अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेंगे।

(6) अनुच्छेद 335 में सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे का उल्लेख किया गया है।

(7) अनुच्छेद 336 के अनुसार कुछ सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध का प्रावधान किया गया है। परन्तु इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष के अंत में ऐसे सभी आरक्षण समाप्त हो जाएंगे।

(8) अनुच्छेद 337 के अनुसार आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध का प्रावधान किया गया है।

(9) अनुच्छेद 338 अनुसार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग का निर्माण किया गया है।

(10) अनुच्छेद 339 में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण का उल्लेख किया गया है।

(11) अनुच्छेद 340 पिछड़ा वर्ग (obc) के लिए आयोग बनाने के लिए है। obc कि लिस्ट में कौन शामिल होंंगे? इसके मापदंड क्या होंंगे? क्या सिफारिशें कि जाए? इस संबंध में कमीशन को अपनी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।

(12) अब समझते हैंं अनुच्छेद 341 और 342 क्या है?

अनुच्छेद 341 अनुसूचित जाति और अनुच्छेद 342 अनुसूचित जनजाति की लिस्ट तैयार करने के संबंध में है। इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति, राज्य एवं केन्द्र शासित राज्यों के राज़्यपाल के माध्यम से, अनुसूचित जनजाति की लिस्ट जारी कर सकेंगे। भारतीय संसद भी कानून बनाकर अनुसूचित जनजाति की लिस्ट से किसी भी जाति को शामिल या बाहर कर सकते हैं। 


इस तरह ये सफेद झूठ है कि अनुच्छेद 330-342 के तहत SC, ST, OBC हिन्दू नहीं है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330-342 का किसी भी धर्म से कोई लेना देना नहीं है। ये अनुच्छेद धर्म के संबंध में नहीं है। अनुच्छेद 330 से 342 में, धर्म या हिन्दू शब्द मिलेगा ही नहीं। 

कोई भी अनुच्छेद 330-342 पढ़ सकता है और सच जान सकता है।

अब आते हैं कि संविधान के अनुसार हिन्दू कौन हैंं? संविधान में साफ उल्लेख है कि हिन्दू कौन है? 


संविधान के अनुच्छेद 25 (2) के उपखडं (ख) के अनुसार; हिंदुओं के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत सिक्ख, जैन या बौद्ध धर्म के मानने वाले व्यक्तियों के प्रति निर्देश है और हिन्दुओं की धार्मिक संस्थाओं के प्रति निर्देश का अर्थ तदनुसार लगाया जाएगा। 

इसके अतिरिक्त हिन्दू विवाह अधिनियम अनुभाग (सैक्शन) 2 में भी बताया गया है कि हिन्दू कौन हैं?

हिन्दू विवाह अधिनियम अनुभाग (सैैक्शन) 2 के अनुसार:-

(क) वीरशैव, लिंगायत, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, ब्रम्हा समाज हिन्दू हैंं।

(ख) जैन, सिख, बौद्ध हिन्दू हैंं।

(ग) मुस्लिम, ईसाई, पारसी, यहूदी को छोड़कर शेष सभी भारत में रहने वाले नागरिक हिन्दू हैंं।


हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में बताया गया है यह अधिनियम किन व्यक्तियों पर लागू होगा।

अधिनियम किन व्यक्तियों पर लागू होगा -

(1) जो व्यक्ति जन्म से हिन्दू, बौद्ध, जैन या सिक्ख हो, या

(2) कोई ऐसा व्यक्ति जिसने हिंदू, बौद्ध, जैन या सिक्ख धर्म अपना लिया।

(3) कोई जायज या नाजायज बच्चा जिसके माता-पिता में से कोई एक धर्म से हिंदू, बौद्ध, जैन या सिक्ख हो और जिसका पालन पोषण किसी जनजाति, समुदाय, समूह और परिवार के रूप में हुआ हो, क्योकि किसी ऐसे व्यक्ति पर जो धर्म से मुसलमान, ईसाई, पारसी या यहूदी न हो, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि वह हिंदू धर्म का पालन नहीं करता है।

यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों पर तब तक लागू होगा, जब तक केन्द्र सरकार द्वारा ऐसा करने की घोषणा न की गई हो।

और इस तरह ये दावा गलत और झूठा है कि अनुच्छेद 330-342 के अनुसार SC, ST, OBC हिन्दू नहीं है।

अतः SC, ST, OBC को गैर हिंदू बताना भारत के वामपंथी, लिबरल, अम्बेडकरवादियों और हिन्दू विरोधियों का एक सुनियोजित प्रोपोगेंडा है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहींं है। ये लोग SC, ST, OBC समुदाय को हिन्दू नहीं अपितु भारत के मूलनिवासी कहते हैं, मगर सत्यता यह है कि भारतीय संविधान में हिन्दू शब्द और उसके अर्थ दोनों मिलते हैंं परन्तु मूलनिवासी शब्द पूरे संविधान में कहीं नहीं है।

अतः इन धूर्त ढोंगी पाखण्डी और बिकाऊ लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है।

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