तिपिटक / अङ्गुत्तरनिकाय - 7. वस्ससुत्तं
197. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, वस्सस्स अन्तराया, यं नेमित्ता 1 न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति। कतमे पञ्च? उपरि, भिक्खवे, आकासे तेजोधातु पकुप्पति। तेन उप्पन्ना मेघा पटिविगच्छन्ति। अयं, भिक्खवे, पठमो वस्सस्स अन्तरायो, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति।
‘‘पुन चपरं, भिक्खवे, उपरि आकासे वायोधातु पकुप्पति। तेन उप्पन्ना मेघा पटिविगच्छन्ति। अयं, भिक्खवे, दुतियो वस्सस्स अन्तरायो, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति।
‘‘पुन चपरं, भिक्खवे, राहु असुरिन्दो पाणिना उदकं सम्पटिच्छित्वा महासमुद्दे छड्डेति। अयं, भिक्खवे, ततियो वस्सस्स अन्तरायो, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति।
‘‘पुन चपरं, भिक्खवे, वस्सवलाहका देवा पमत्ता होन्ति। अयं, भिक्खवे, चतुत्थो वस्सस्स अन्तरायो, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति।
‘‘पुन चपरं, भिक्खवे, मनुस्सा अधम्मिका होन्ति। अयं, भिक्खवे, पञ्चमो वस्सस्स अन्तरायो, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमति। इमे खो, भिक्खवे, पञ्च वस्सस्स अन्तराया, यं नेमित्ता न जानन्ति, यत्थ नेमित्तानं चक्खु न कमती’’ति। सत्तमं।
<<<<<Translation >>>>
020.07. भिक्खुओं, बारिश के लिए ये पांच खतरनाक हैं, जो बारिश की भविष्यवाणी करते हैं, वे उन्हें नहीं जानते या देखते नहीं हैं। क्या पांच?
भिक्षुओं, अंतरिक्ष में, ऊपर, अग्नि तत्व परेशान हो जाता है और उसके कारण उठने वाला तूफान पृथ्वी पर आ जाता है। भिक्षुओं, बारिश के लिए यह पहला अंतराय है, जिसे बारिश की भविष्यवाणी करने वाले न तो जानते हैं और न ही देखते हैं।
फिर से भिक्षुओं, अंतरिक्ष में, ऊपर, वायु परेशान हो जाता है और इसके कारण उठने वाला तूफान पृथ्वी पर आ जाता है। भिक्षुओ, बारिश के लिए यह दूसरा अंतराय है, जिसे बारिश की भविष्यवाणी करने वाले न तो जानते हैं और न ही देखते हैं।
फिर से भिक्षुओं, राहु असुरेन्द्र अपने हाथ से जल को रोककर समुद्र में गिरा देता है। भिक्षुओ, बारिश के लिए यह तीसरा अंतराय है, जिसे बारिश की भविष्यवाणी करने वाले न तो जानते हैं और न ही देखते हैं।
फिर से भिक्षुओं , बारिश लाने वाले बादल विलम्बित हो जाते हैं। भिक्षुओ, बारिश के लिए यह चौथा अंतराय है, जिसे बारिश की भविष्यवाणी करने वाले न तो जानते हैं और न ही देखते हैं।
फिर से भिक्षुओं , लोग अधर्मी हो जाते हैं। भिक्षुओं, बारिश के लिए यह पांचवां अंतराय है, जो बारिश की भविष्यवाणी करने वाले नहीं जानते या देखते नहीं हैं।
भिक्षुओं, बारिश के लिए ये पांच खतरनाक हैं, जो बारिश की भविष्यवाणी करते हैं, वे उन्हें नहीं जानते या देखते नहीं हैं।
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इसमें जो तीसरे नंबर का कारण है। वह बडा गजब का है। इसमें बुद्ध कहते हैं कि मेघों के जल को राहु असुरेन्द्र अपने हाथों से रोक लेता है और उन्हें सीधा समुद्र में ही गिरा देता है। इस कारण से भी वर्षा नहीं होती है।
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