१ जनवरी विशेष : खतना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

जैसे की आप सब लोगो को विदित है कि नया साल अर्थात ईसाई नववर्ष आने वाला है और ईसाई इसे बड़ी धूमधाम से अपने अपने देशों में मनाते हैं। लेकिन भारत देश में ईसाइयों की आबादी लगभग २.५% है, फिर भी यहाँ इस देश में इस नववर्ष को ईसाई तो मनाते हैं लेकिन अधिकतर हिन्दू भी इस नववर्ष को बड़ी ही धूम धाम से मनाते हैं। भले ये वो हिन्दू हैं जिन्हें दीपावली, होली आदि में आतिशबाजी और रंग बिरंगे गुलालों से परहेज हो, मगर ईसाइयों के नववर्ष में ऐसे जोश में होते हैं कि आतिशबाजी भी करते हैं और मद्य आदि पेय तथा मांसाहार से परहेज नहीं करते। इन लोगों को क्या कहें ज्यादातर समस्या तथाकथित स्वघोषित धार्मिक गुरुओं ने ही प्रारम्भ की है। सांता के सफ़ेद दाढ़ी मूछ में कृष्ण को रंगना और धर्म की शिक्षा न देकर ईसाइयों के नये साल के बारे में न समझाकर मौन रहना, इन्हीं कारणों से हिन्दू समाज ईसाई और मुस्लिम त्योहारों में झूलता रहता है और अपने धार्मिक, ऐतिहासिक तथा वैज्ञानिक त्योहारों के प्रति उदासीन रवैया धारण करता है।

खैर आज हम चर्चा कर रहे हैं कि ये नया साल जो प्रत्येक १ जनवरी को मनाया जाता है वह क्या है? आइये देखे :

नया साल अर्थात् प्रत्येक १ जनवरी को ख़ुशी और जोश से मनाया जाने वाल दिन नया साल है क्योंकि क्रिसमस के दिन ईसा साहब पैदा हुए और इस क्रिसमस के आठवें दिन जो ईसा साहब का “खतना” (लिंग की रक्षार्थ चमड़ा ‘खिलड़ी’ काटना) हुआ था। ये खतना मुस्लिम समुदाय में भी किया जाता है। अतः ये तो सिद्ध हुआ कि ये दोनों संस्कृति कुछ भेद से एक हैं। अतः ईसा साहब के पैदा होने से आठवें दिन जो “लिंगचर्म छेदन संस्कार” अर्थात् खतना हुआ वह नया साल है।

On the eighth day, when it was time to circumcise the child, he was named Jesus, the name the angel had given him before he was conceived.

[ Luke 2:21 ]

और जब बालक के खतने का आठवाँ दिन आया तो उसका नाम यीशु रखा गया। उसे यह नाम उसके गर्भ में आने से पूर्व भी पहले स्वर्गदूत द्वारा दे दिया गया था।

[ लूका २ | २१ ]

अब ये खतना तो हुआ ईसा साहब का और मनाते हिन्दू समाज के लोग हैं। वो भी पुरे जोशो खरोश से, ये बात समझ से बाहर है।

तो जो भी हिन्दू ये नया साल मनाते हैं, उन्हें जान लेना चाहिए कि खतना की परंपरा मूसा का नियम है। मूसा ईसाइयों और मुस्लिमो के बड़े पैगम्बर हुए हैं। खैर ये जान लीजिये की इसी मूसा के नियमानुसार ईसा का “लिंगचर्म छेदन संस्कार” खतना हुआ था।

And every male among you who is eight days old shall be circumcised throughout your generations, a servant who is born in the house or who is bought with money from any foreigner, who is not of your descendants.

[ Genesis 17:12 ]

जब बच्चा आठ दिन का हो जाए, तब उसका खतना करना। हर एक लड़का जो तुम्हारे लोगों में पैदा हो या कोई लड़का जो तुम्हारे लोगों का दास हो, उसका खतना अवश्य होगा।

[ उत्पत्ति १७ | १२ ]

On the eighth day the flesh of his foreskin shall be circumcised.

[ Leviticus 12:3 ]

आठवें दिन बच्चे का खतना होना चाहिए।

[ लैव्यव्यवस्था १२ | ३ ]

इसपर यदि कोई ईसाई कहे कि ये तो पुराना नियम है और इसे नहीं मानता। तो ये देखें यीशु ने स्वयं कहा:

Think not that I am come to destroy the law, or the prophets: I am not come to destroy, but to fulfil.

For verily I say unto you, Till heaven and earth pass, one jot or one tittle shall in no wise pass from the law, till all be fulfilled.

[ Matthew 5:17-18 ]

यह न समझो, कि मैं मूसा के धर्म नियम और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूँ।लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ।

मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक आकाश और पृथ्वी समाप्त नो जाएँ, तब तक मूसा की व्यवस्था का एक एक शब्द और एक एक अक्षर बना रहेगा। वह तब तक बना रहेगा जब तक वह पूरा नहीं हो लेता।

[ मत्ती ५ | १७-१८ ]

उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध होता है कि ईसा का खतना  यानी “लिंगचर्म छेदन संस्कार” जन्म के आठवें दिन हुआ था जो ग्रैगोरियन कैलेंडर के अनुसार १ जनवरी होता है। यीशु के इसी “लिंगचर्म छेदन संस्कार” की खुशी में हर वर्ष नया साल के रूप में मनाया जाता है। वास्तव में तो ये खतना दिवस ही है, भले ही कोई इसे नया साल के रूप में मनाये।

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