क्रिसमस मनाना बाइबिल अनुसार अनुचित और अधार्मिक कार्य!

 बाइबिल के नए नियम और पुराने नियम, में कहीं भी क्रिसमस (ईसा का जन्म दिवस त्यौहार) हर्षोल्लास से मनाना नहीं लिखा।

पूरी बाइबिल, नए नियम और पुराने नियम में कहीं भी क्रिसमस के लिए कोई “नकली पेड़” या “क्रूस” जैसी किसी भी छवि अथवा प्रतीक को अपनाया जाना कहीं नहीं लिखा, बल्कि यह ईश्वर की नजर में पाप है, अपराध है।

(1 कुरिन्थियों, १०-१४:१५)

पूरी पूरी बाइबिल, नए नियम और पुराने नियम में कहीं भी, क्रिसमस को मनाये, हर्षोल्लास दर्शाये, कहीं नहीं लिखा, कोई लिखी प्रमाण हैं तो कोई भी ईसाई बंधु प्रस्तुत करें।

पूरी बाइबिल, नए नियम और पुराने नियम में कहीं भी, किसी भी प्रकार के (सांटा क्लोज-क्रिश्मस का पिता) जैसा कोई ऐतिहासिक व्यक्ति वा चरित्र नहीं मिलता, यदि है, तो कोई भी ईसाई व नव-ईसाई (मसीह) बाइबिल से प्रमाण प्रस्तुत करें।

मेरे ईसाई भाइयों, नव-ईसाई (मसीह) भाइयों और प्यारे हिन्दू भाइयों! सच्चाई यह है कि क्रिसमस का त्यौहार, क्रिसमस का पेड़, और क्रॉस आदि प्रतीक, यह पगन लोगों (अरब के मूल निवासियों) का त्यौहार था। यह पगन लोग, योगेश्वर कृष्ण के पौत्र के वंशज थे जो वैदिक धर्मी थे। मगर समय के अनुसार, अनार्य स्थान पर रहने से वेदधर्म से चूककर, पौराणिक पद्धतिया धारण कर चुके थे। जैसा जिसका मत चला उस मत को अपनाते गए और वैसी ही पूजा पद्धति अपनाते गए।

क्रिसमस का पेड़ और दिसम्बर मास में ईसा का जन्मकाल मानकर, हर्षोल्लास से मनाना, ईसाइयों और नवईसाईयों(मसीहों) के लिए वर्जित है, क्योंकि ईसा का जन्म दिसम्बर में हुआ ही नहीं था, तो क्रिसमस दिसंबर में कैसे मनाते हैं ?

क्रिसमस के पेड़ को प्रतीक मानना, पूजना मूर्खता है :

2 अन्यजातियों को चाल मत सीखो, न उनकी नाईं आकाश के चिन्हों से विस्मित हो, इसलिये कि अन्यजाति लोग उन से विस्मित होते हैं।

3 क्योंकि देशों के लोगों की रीतियां तो निकम्मी हैं। मूरत तो वन में से किसी का काटा हुआ काठ है जिसे कारीगर ने बसूले से बनाया है।

4 लोग उसको सोने-चान्दी से सजाते और हयैड़े से कील ठोंक ठोंककर दृढ़ करते हैं कि वह हिल-डुल न सके।

5 वे खरादकर ताड़ के पेड़ के समान गोल बनाईं जाती हैं, पर बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उन से मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।

(यिर्मयाह, अध्याय १०:२-५)

14 वह देवदार को काटता वा वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर सेवता है, वह एक तूस का वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

15 तब वह मनुष्य के ईंधन के काम में आता है; वह उस में से कुछ सुलगाकर तापता है, वह उसको जलाकर रोटी बनाता है; उसी से वह देवता भी बनाकर उसको दण्डवत करता है; वह मूरत खुदवाकर उसके साम्हने प्रणाम करता है।

(यशायाह, अध्याय ४४:१४-१५)

किसी भी त्यौहार का फैसला सिवाय ईसा व उसके पिता के अतिरिक्त कोई न करे : यहाँ इस आयत में स्पष्ट बताया है। आने वाले भविष्य, यानी ईसा की मृत्युपरांत, ईसाई समुदाय, ईसा के जन्मदिवस को विशेषतः हर्षोल्लास से मनाएंगे, मगर यहाँ चेतावनी उन्ही लोगो के लिए है, की वे पर्व (त्यौहार) के लिए कोई फैसला नहीं करे।

16 इसलिये खाने पीने या पर्व या नए चान्द, या सब्तों के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे।

17 क्योंकि ये सब आने वाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्तुएं मसीह की हैं।

(कुलुस्सियों, अध्याय २:१६-१७)

बाइबिल के इन सभी स्थलों पर, ईसा के जन्म की शुभकानाए दी जाती हैं, मगर इस दिन को त्यौहार के रूप में मनाये, ऐसा कोई विधान प्रकट नहीं किया जाता :

लूका (अध्याय २:१०-१२) (अध्याय २:१३-१४) (अध्याय २:१५-२०)

मत्ती (अध्याय २:१-१२)

इन सभी स्थलों पर, ईसा के जन्म का हर्षोल्लास मना लिया गया, लेकिन आगे भी मनाते रहे, ऐसा कोई विधान पूरी बाइबिल में कहीं नहीं पाया जाता है।

क्रिसमस पगनों का त्यौहार :

19 मूरत! कारीगर ढालता है, सोनार उसको सोने से मढ़ता और उसके लिये चान्दी की सांकलें ढाल कर बनाता है।

20 जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूंढकर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके॥

(यशायाह, अध्याय ४०:१९-२०)

14 वह देवदार को काटता वा वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर सेवता है, वह एक तूस का वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

15 तब वह मनुष्य के ईंधन के काम में आता है; वह उस में से कुछ सुलगाकर तापता है, वह उसको जलाकर रोटी बनाता है; उसी से वह देवता भी बनाकर उसको दण्डवत करता है; वह मूरत खुदवाकर उसके साम्हने प्रणाम करता है।

16 उसका एक भाग तो वह आग में जलाता और दूसरे भाग से मांस पकाकर खाता है, वह मांस भूनकर तृप्त होता; फिर तपाकर कहता है, अहा, मैं गर्म हो गया, मैं ने आग देखी है!

17 उसके बचे हुए भाग को लेकर वह एक देवता अर्थात एक मूरत खोदकर बनाता है; तब वह उसके साम्हने प्रणाम और दण्डवत करता और उस से प्रार्थना कर के कहता है, मुझे बचा ले, क्योंकि तू मेरा देवता है। वे कुछ नहीं जानते, न कुछ समझ रखते हैं।

(यशायाह, अध्याय ४४:१४-१७)

अतिरिक्त पढ़े (यिर्मयाह, अध्याय १०:२-५)

उपरोक्त तथ्यों से सिद्ध है, न तो, ईसा के जन्म का हर्षोल्लास मनाने के लिए कोई त्यौहार, पर्व मनाना चाहिए, ऐसा वर्णन, पूरी बाइबिल में कहीं नहीं मिलता, क्रिसमस जैसे त्यौहार के लिए कोई प्रतीक यथा, पेड़, क्रूस होना चाहिए, ऐसा विधान भी नहीं मिलता, हाँ बाइबिल में यह अवश्य लिखा है की जो कोई मनुष्य किसी पेड़, क्रूस आदि प्रतीक को माने या पूजे तो पापी होगा, और इसी सिद्धान्त को, पगन मानते थे, इसलिए बाइबिल ने उन्हें मुर्ख और विधर्मी कहा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ