नियोग


✝️✝️✝️✝️ईसाई मत✝️✝️✝️✝️

1-तब यहूदा ने ओनान से कहा- अपनी भाई की बीवी के पास जा और और उसके साथ देवर का धर्म पूरा करके अपने भाई के लिये सन्तान उत्पन्न कर।
- (बाइबिल-उत्पत्ति 38:8)

2-जब कोई भाई संग रहते हों, और उन में से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जा कर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उस से पति के भाई का धर्म पालन करे। – 
- (बाइबिल-व्यवस्थाविवरण 25:5)

बाइबिल में  नियोग से इंकार करने पर सजा भी मिलती है

3-यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगों के सामने  उसके मूंह पर थूके और जूते उसके पाव से उतारे- 
- (बाइबिल-व्यवस्थाविवरण 25: 7-10)

☪️☪️☪️☪️इस्लाम ☪️☪️☪️☪️-

और अगर हम बात करें इस्लाम की तो वह पर औरतो  के पास इतना अधिकार नहीं था की वो पति के मरने पर अगर संतान चाहे तो नियोग कर सके..फिर भी हम कुछ उद्दाहरण लेकर स्त्रियों की स्थिति समझते है-

1-यदि कोई अपनी  पत्नी को तलाक  दे दे ,तो वो औरत दूसरे मर्द से निकाह करे और उसके साथ हमबिस्तर हो और यदि उसके बाद वह पति भी तलाक दे दे तब इन दोनों  के लिए एक दूसरे  कि तरफ पलटने  में कोई दोष  नही  होगा " 
(कुरान- 2:230)

2-यदि  तुम्हारी  औरतें   बात  नहीं  माने ,तो उनको   मारो  और पीटो ,ताकि  वह तुम्हारी  बातें मानने  लगें " 
(कुरान -4 :34)

 3-तुम चाहो  तो  दो दो ,तीन तीन  , और चार  पत्नियां  रख सकते हो " 
(कुरान -4 : 3)

4-आयशा  ने कहा  कि रसूल ( मोहम्मद ) इतने सदाचारी थे कि पराई स्त्रियों पर हाथ भी  नहीं  लगाते  थे , लेकिन  पकड़ी  गयी  औरतों  के साथ सम्भोग  किया  करते थे 

 (सहीह बुखारी -जिल्द 9 किताब 89 हदीस 321)

🕉🕉🕉🕉🕉हिन्दू धर्म🕉🕉🕉🕉🕉

1-विधवायां नियुक्तस्तु घृताक्तो वाग्यतो निशि ।
 एकं उत्पादयेत्पुत्रं न द्वितीयं कथं चन ।।
(मनुस्मृति-9/60)

अर्थ-विधवा स्त्री अगर संतान चाहे तो पिता की आज्ञा पाकर शरीर पर घी लगाकर नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करें और एक पुत्र के अतिरिक्त दूसरा कभी उत्पन्न न करें।
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2-बेवजह नियोग करने पर पाप और तिरस्कार...नियोग केवल विधवा व निःसंतान स्त्रियों के लिए था जो दोबारा विवाह नहीं करना चाहती.

ज्येष्ठो यवीयसो भार्यां यवीयान्वाग्रजस्त्रियम् ।
पतितौ भवतो गत्वा नियुक्तावप्यनापदि ।।
(मनुस्मृति-9/58)

अर्थ- आपतकाल न हो और पिता की आज्ञा से भी यदि बड़े भाई और छोटे भाई की स्त्री नियोग करती  है तो वो दोनों पाप के भागीदारी होंगे और वर्णाश्रम भ्रस्ट हो जायेगा.
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3-विधवा अगर चाहे तो दोबारा विवाह कर सकती है -

सा चेदक्षतयोनिः स्याद्गतप्रत्यागतापि वा ।
पौनर्भवेन भर्त्रा सा पुनः संस्कारं अर्हति ।।
(मनुस्मृति-9/176)

अर्थ-  अक्षत योनि स्त्री ( जिस स्त्री का विवाह तो हो गया है परन्तु उसका पति से शारीरिक सम्बन्ध न हो)  तो वह पुनः विवाह करने योग्य होती है अथवा अगर वो चाहे तो दूसरे  से विवाह कर सकती है।

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