विभिन्न धर्मों में नारी का स्थान








ईसाई धर्म और नारी










Note- इस पोस्ट में ऑनलाइन बाइबिल की साइट की लिंक है ताकि जिनको संदेह हो वो अपना संदेह दूर कर सके.

1-लड़का और लड़की पैदा होने पर भेदभाव

जो स्त्री गभिर्णी हो और उसके लड़का हो, तो वह 7 दिन तक अशुद्ध रहेगी (लैव्यव्यवस्था -12 : 2)
जो स्त्री गभिर्णी हो और उसके लड़की हो, तो वह 14 दिन तक अशुद्ध
रहेगी (लैव्यव्यवस्था -12 : 5)
https://www.wordproject.org/bibles/in/03/12.htm#0

2-माहवारी के समय औरतों से दूर रहो :-

बाइबिल -"जब कोई स्त्री ऋतुमती हो ,तो वह सात दिनों तक अशुद्ध मानी जाये .और जो कोई भी उसे छुए वह भी अशुद्ध माना जाये "
(लैव्यव्यवस्था -15 :19)
https://www.wordproject.org/bibles/in/03/15.htm#0

3-औरतें खुद को छुपा कर रखें :-

बाइबिल -यदि स्त्री ओढ़नी न ओढ़े, तो बाल भी कटा ले; यदि स्त्री के लिये बाल कटाना या मुण्डाना लज्ज़ा की बात है, तो ओढ़नी ओढ़े।"
(1 कुरिन्थियों 11 :6)

4- किसी भी पूजास्थल में महिलाओं को सिर ढँककर रखना चाहिए।

(1 कुरिन्थियों 11:4-7)
https://www.wordproject.org/bibles/in/46/11.htm#0

5-महिला को अपने बलात्कारी से शादी करनी चाहिए

यदि किसी पुरूष को कोई कुंवारी कन्या मिले और वह उसे पकड़ कर उसके साथ कुकर्म करे, और वे पकड़े जाएं, तो पुरुष पीड़ित लड़की के पिता को 50 शेकेल दे और उससे विवाह कर ले
(व्यवस्थाविवरण-22:28-29)
https://www.wordproject.org/bibles/in/05/22.htm#0

6-अगर महिला का बलात्कार हो तो बलात्कारी और महिला दोनों को पत्थर से मार डालो

यदि किसी कुंवारी कन्या के ब्याह की बात लगी हो, और कोई दूसरा पुरूष उसे नगर में पाकर उस से कुकर्म करे,तो तुम उन दोनों को उस नगर के फाटक के बाहर ले जा कर उन को पत्थरवाह करके मार डालना
(व्यवस्थाविवरण-22:23-24)
https://www.wordproject.org/bibles/in/05/22.htm#0

7-अगर गलती से महिला पराये पुरुष का गुप्तांग छू ले तो उसका हाथ काट डालो

यदि दो पुरूष आपस में मारपीट करते हों, और उन में से एक की पत्नी अपने पति को छुड़ाने के चक्कर में अगर गलती से उसका हाथ पराये पुरुष के गुप्तांग को छू जाये तो उस स्त्री का हाथ काट डालना
(व्यवस्थाविवरण - 25:11-12)
https://www.wordproject.org/bibles/in/05/25.htm#0

8-औरतों को सभा चुप रहना चाहिए और अपने पतियों से सीखना चाहिए

स्त्रियां सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने अपने पति से पूछें, क्योंकि स्त्री का सभा में बातें करना लज्ज़ा की बात है।
(1 कुरिन्थियों -14:34-35)
https://www.wordproject.org/bibles/in/46/14.htm#0

9-स्त्रियों को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए

स्त्री को चुपचाप पूरी आधीनता में सीखना चाहिए और मैं (परमेश्वर) कहता हूं, कि स्त्री न उपदेश करे, और न पुरूष पर आज्ञा चलाए, परन्तु चुपचाप रहे।
(1 तीमुथियुस - अध्याय 2:11-12)
https://www.wordproject.org/bibles/in/54/2.htm#0


10- परमेश्वर अभिमान से चलने वाली स्त्रियों को नंगा करता है

यहोवा ने यह सिय्योन की स्त्रियां घमण्ड करतीं और सिर ऊंचे किये आंखें मटकातीं और घुंघुरूओं को छमछमाती हुई ठुमुक ठुमुक चलती हैं,
इसलिये प्रभु यहोवा उनके सिर को गंजा करेगा, और उनके तन को उघरवाएगा (नंगा करेगा).
(यशायाह 3:16-17)
https://www.wordproject.org/bibles/in/23/3.htm#0



इस्लाम में स्त्री की दुर्गति













इसमें लिखे सारे प्रमाण कुरान और 2 हदीस (सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम )से लिए गए है इसलिए कोई भी इसे गलत साबित नहीं कर सकता.

1-औरत को खेती की तरह जोतो :-

"औरतें तुम्हारे लिए खेती के समान है ,तो खेती में जैसे चाहो हल चलाओ "
(कुरान -2 :223)
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा यदि कोई औरत पति के बुलावे पर तुरंत सम्भोग के लिए तैयार नही होती , तो जन्नत क फ़रिश्ते उस पर तब तक धिक्कार करते रहते हैं , जब तक वह सम्भोग नही करवा लेती "
(सहीह मुस्लिम -किताब 8हदीस 3367)

2-.पति का दर्जा पत्नी से ऊँचा :-

"हाँ परुषों को स्त्रियों पर एक दर्जा प्राप्त है "
('कुरान -2:228)
" इमरान ने कहा कि रसूल ने बताया ,मैंने जब जहन्नम की तरफ देखा तो वहाँ अधिकांश औरतें ही भरी थी ''
(सहीह बुखारी- जिल्द 7 किताब 62 हदीस 126)

3- विरासत में पुरषों को स्त्रियों से दोगुना हिस्सा :-

" पुरुष का हिस्सा दो स्त्रियों के हिस्से के बराबर है "
(कुरान 4:21 )
" हुजैल बिन शीरबाहिल ने कहा कि अबू मूसा ने रसूल से विरासत में पुत्री ,पुत्र की लड़की और बहिन के हिस्से के बारे में सवाल किया , तो रसूल बोले पुत्री का आधा हिस्सा और बहिन का भी आधा भाग होगा "
(सहीह बुखारी -जिल्द 8 किताब 80 हदीस 728)

4-.औरतों की गवाही मर्दों से आधे बराबर

अपने पुरुषों में से दो गवाहों की गवाही कर लो यदि दो पुरष न हों तो एक पुरष के लिए दो स्त्रियों को गवाह बना लो "
(कुरान -2:282)

सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने बताया ओरतों की गवाही पुरुषों से आधे के बराबर इसलिए मानी जाती है ,क्योंकि उनकी समझ में कमी होती है
('सहीह बुखारी- जिल्द 3 किताब 48 हदीस 826)

5- हलाला या व्यभिचार

यदि कोई अपनी पत्नी को तलाक दे दे ,तो उस स्त्री के लिए जायज नही होगा जब तक वह किसी दूसरे पति से शादी न कर ले और वह पति भी तलाक दे दे तब इन दौनों के लिए एक दूसरे कि तरफ पलटने में कोई दोष नही होगा "
(कुरान-2:230)

6-पकड़ी गयी औरतें स्वामी की संपत्ति

तुम्हारी लिए ऎसी स्त्रियां हराम हैं ,जो किसी के निकाह में हों , सिवाय उनके जो पकड़ कर तुम्हारे कब्जे में आगयी हों "
(कुरान -4:24 )
आयशा ने कहा कि रसूल इतने सदाचारी थे कि पराई स्त्रियों पर हाथ भी नहीं लगाते थे , लेकिन पकड़ी गयी औरतों के साथ सम्भोग किया करते थे "
(सहीह बुखारी -जिल्द 9 किताब 89 हदीस 321)

7- पुरुषो के लिए चार पत्नियां :-

तुम चाहो तो दो - दो ,तीन-तीन , और चार पत्नियां रख सकते हो " (कुरान- 4:3)


8-पत्नी को जब चाहो पीटो :-

यदि तुम्हारी औरतें बात नहीं माने ,तो उनको मारो और पीटो ,ताकि वह तुम्हारी बातें मानने लगें "
(कुरान- 4:34)
इकिरिमा ने कहा कि एक औरत आयशा के पास गयी और अपने बदन पर पड़े हरे नीले निशान दिखा कर बोली कि मुझे मेरे पति ने पीटा है ,जिस से खूब दर्द हो रहा है .आयशा ने उसे रसूल के पास भेज दिया . रसूल ने स्त्री के पति को बुलाया , उसने कहा इस औरत ने मुझे नपुंसक कहा था तब उस व्यक्ति ने अपने दो बच्चे दिखा दिये ,जो पिता की तरह काले थे . तब रसूल बोले यह औरत झूठी है .तुमने इस पीट कर कोई गुनाह नहीं किया
("सहीह बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 715)







बौद्ध धर्म और महिला






हम इस लेख में अपने दिये संदर्भों के प्रमाण suttacentral.net नामक बौद्ध वेबसाइट से देंगे,जो बौद्ध साहित्य की प्रामाणिक व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वेबसाइट है,कोई बामसेफी सड़कछाप किताब की तरह अप्रमाण नहीं है।
पाठकगण हमारे आक्षेप सप्रमाण पढ़कर आनंद लें-


(१) - स्त्रियाँ मार का रूप:स्त्री से कभी मत बोलो-



स्त्रियां उठते,बैठते,लेटते,हंसते,बोलते,गाते व रोते समय पुरुष के को मनोग्रस्त कर देते हैं।यदि मरा हुआ भी हो तो भी स्त्रियां पुरुष को मनोग्रस्त कर देती हैं।
स्त्री मार का बंधन है यानी बुरी शक्ति है। जिसके हाथ में तलवार हो,पिशाच हो,विष देने वाला हो,विष का दंश देने वाला नाग ही क्यों न हो,उससे बात कर लो। पर स्त्री से कभी मत बोलो।
(अंगुत्तरनिकाय पांचवानिपात,निवारणवग्गो मातापुत्तसुत्त: ५५/५)


“Bhikkhus, while walking, a woman obsesses the mind of a man; while standing … while sitting … while lying down … while laughing … while speaking … while singing … while crying a woman obsesses the mind of a man. When swollen, too, a woman obsesses the mind of a man. Even when dead, a woman obsesses the mind of a man.
If, bhikkhus, one could rightly say of anything: ‘Entirely a snare of Māra,’ it is precisely of women that one could say this.”
One might talk with a murderous foe,
one might talk with an evil spirit,
one might even approach a viper
whose bite means certain death;
but with a woman, one to one,
one should never talk.


(Aṅguttara Nikāya
The Book of the Fives
55. Mother and Son)


(२)- स्त्री पुरुष को विचलित करती है-



स्त्रियां पुरुष का मन विचलित करती हैं।स्त्री का गंध,आवाज,स्पर्श विचलित करता है। स्त्री मोह में डालती है।
(अंगुत्तरनिकाय एककनिपात रुपादिवर्ग १)


. “Bhikkhus, I do not know of a form that captivates the mind of man as that of woman. The form of a woman indeed captivates the mind of a man. This is the first.


2. Bhikkhus, I do not know of a sound that captivates the mind of man as that of woman. The sound of a woman indeed captivates the mind of a man. This is the second.


3. Bhikkhus, I do not know of a smell that captivates the mind of man as that of woman. The smell of a woman indeed captivates the mind of a man This is the


(Aṅguttara Nikāya
1. Ekakanipāta
I. RŪPĀDĪ - EKAKA VAGGA (Cittapariyādānavaggo)
Matter and others)




(३)-संन्यास लेने की शर्तें:भिक्षुणी का स्तर भिक्षु से निम्न है-



स्त्री को संन्यास लेने की शर्त बताते हुये बुद्ध कहते हैं कि-
-भले ही भिक्षुणी सौ साल की ही क्यों न हो,अपने से छोटे उम्र के भिक्षु को नमस्कार करेगी। उसके आते ही उठ जायेगी।
-किसी भी स्थिति में स्त्री भिक्षु का अनादर न करे,न उसको अपशब्द कहे।
-भिक्षु को कोई भिक्षुणी कभी भी उपदेश न करे। भिक्षु ही भिक्षुणी को उपदेश दे सकता है।
(अंगुत्तरनिकाय, आठवां निपात,गोतमीवग्गो,गोतमीसुत्त)
ऐसा ही कुछ वर्णन सुत्तासेंट्रल ने कुछ अलग शब्दों में विनयपिटक,भिक्षुणीस्कंधक में किया है।


“A bhikkhuni with one hundred rains should worship, attend willingly, revere with clasped hands and exchange friendly greetings with a bhikkhu who has just attained higher ordination. This rule should be honoured, revered, esteemed and should not be thrown out until life lasts.


Every fortnight the bhikkhuni should approach the Community of bhikkhus to beg for two things. To know the day of recital of the full moon observances for confession and for advice. This rule should be honoured, revered, esteemed and should not be thrown out until life lasts.


.......
A bhikkhuni should not abuse a bhikkhu for any reason. This rule should be honoured, revered, esteemed and should not be thrown out until life lasts.


From today the words of the bhikkhunis are obstructed to the bhikkhus. The words of the bhikkhus are not obstructed to the bhikkhunis.




(Aṅguttara Nikāya
006. Gotamīvaggo - Section on Gotami
1. Gotamisuttaṃ - To Gotāmi)


(४)- स्त्रियां बुद्ध नहीं बन सकतीं-





स्त्री बुद्ध नहीं बन सकती। केवल तभी बन सकती है जब पुरुष का जन्म ले ले। स्त्री चक्रवर्ती सम्राट भी नहीं बन सकती । केवल पुरुष ही राजा बन सकता है। केवल पुरुष ही शक्र,मार,ब्रह्मा बन सकता है।
(अंगुत्तरनिकाय, एककनिपात,असंभव वग्गो,द्वितीय वर्ग, १/१५/१)


279. Bhikkhus, it is impossible that a woman could be the worthy, rightfully enlightened all knowing one. It is possible that a man could be the worthy, rightfully enlightened all knowing one.


280. Bhikkhus, it is impossible that a woman could be the universal monarch. It is possible that a man could be the universal monarch.


281. Bhikkhus, it is impossible that a woman could be the king of gods. It is possible that a man could be the king of gods.


282. Bhikkhus, it is impossible that a woman could be the king of Death (Māara). It is possible that a man could be the king of Death [Māra].


283. Bhikkhus, it is impossible that a woman could be the highest divine one. {Brahmā} It is possible that a man could be the highest divine one [Brahmā].


Aṅguttara Nikāya
1. Ekakanipāta


XV. Aṭṭhānapāli
The ImpossibilitiesDutiya vagga.


(५)- स्त्री की तुलना काले सांप से:उसके पांच दुर्गुण:



"भिक्षुओं! काले सांप में पांच दुर्गुण हैं। अस्वच्छता,दुर्गंध,बहुत सोने वाला,भयकारक और मित्रद्रोही(विश्वासघाती)। ये सारे दुर्गुण स्त्रियों में भी हैं। वे अस्वच्छ,दुर्गंधयुत,बहुत सोने वाली,भय देने वाली और विश्वासघाती है।"
(अंगु.पांचवा निपात,दीघचारिका वग्गो,पठण्हसुत्त ५/२३/९)




9. Paṭhamakaṇhasappasuttaṃ - First on the poisonous black snake


023.09. Bhikkhus, these five fears are from black poisonous snakes. What five?


They are impure, give a bad smell, are timid, arouse fear and pretend friendship.


Bhikkhus, these five fears are from black poisonous snakes.


In the same manner bhikkhus, these five fears are from women. what five?


They are impure, give a bad smell, are timid, arouse fear and pretend friendship.


Bhikkhus, these five fears are from women.


Aṅguttara Nikāya
023. Dīghacārikavaggo - Going on long tours




(६)- स्त्री के दुर्गुण:नारी नरकगामी:-



अधिकतर स्त्रियों को मैंने नरक में देखा है। उसके तीन कारण हैं जिससे स्त्रियां नरकगामी बनती हैं:-
-वो पूर्वाह्न काल में, सुबह, कृपण और मलिन चित्त की होती है।
-दोपहर में मत्सर युक्त होती हैं।
-रात को लोभ और काम युक्त चित्त की होती है।
(संयुक्त निकाय,मातुगामसंयुत्त,पेयाल्लवग्गो , तीहिधम्मोसुत्त ३५/१/४)


2. The Blessed One addressed the monks from there: “Monks, most women endowed with three things, after death meet loss, go to a bad state, to decrease and are reborn in hell. What three?


3. “Monks, the woman when of tender age has a mind overcome by stains of miserliness, in middle age with a mind overcome by selfishness and during her last days has a mind overcome by sensual greed.


कुछ नये तथ्य-



इसी सुत्त में बुद्ध आगे कहते हैं कि स्त्रियां अधिकतर पाप कर्म करके नरक में जाती हैं।उनके पांच दुर्गुण क्या है,उस पर इस सुत्त में आगे लिखा है-


३६.१.५- स्त्रियों श्रद्धा व लज्जा नहीं होती,उन्हें पश्चाताप नहीं होता,वे नफरत से भरी होती हैं व उनमें बुद्धि की कमी होती है।
३५.१.९- में कहा है कि स्त्रियां स्वार्थी होती हैं।
३६.१.१०- में कहा है कि स्त्रियां व्यभिचार करती हैं।
३६.१.१२- में कहा है कि स्त्रियाँ कम-पढ़ी लिखी होती हैं-


36. 1. 5
(5) (Anuruddho 1) - On the dark side
4. “They lack faith, shame, do not regret, are hateful and lack wisdom.
36. 1. 9.
(9) Maccharena - Selfishness
2. “They lack faith, shame, do not regret, are selfish, and lack wisdom.
36. 1. 10.
(10) Aticārī - Commit Adultery
2. “They lack faith, shame, do not regret, commit adultery, and lack wisdom.
36. 1. 12.
(12) Appassuto - Learned Little
2. “They lack faith, shame, do not regret, have learned little, and lack wisdom.


(Sutta Pitaka
Samyutta Nikāya
Volume IV - Saḷāyatanavaggo
Samyutta 36 - Mātugāma Saṃyutta
Chapter 1 - Mātugāma Vaggo)


(७)- १०० वर्ष की भिक्षुणी भी अपने से छोटे भिक्षु को नमस्कार करे-



बुद्ध मना कर देते हैं कि भिक्षु अपने से बड़ी आयु की भिक्षुणी को नमस्कार करे,आदर करे।
( विनयपिटक, चुल्लवग्गो,भिक्षुणी स्कंधक पेज ५२८, राहुल सांकृत्यायन)


“A nun who has been ordained (even) for a century must greet respectfully, rise up from her seat, salute with joined palms, do proper homage to a monk ordained but that day. And this rule is to be honoured, respected, revered, venerated, never to be transgressed during her life.


[Theravāda Vinayapiṭaka
Khandhaka (Cūḷavagga)]


20. Nuns (Bhikkhunī)
First recitation section
The story of Mahāpajāpatī Gotamī




(८)- जातक कथा में स्त्रीनिंदा-



स्त्रियां धूर्त,झूठी,कारस्थानी,अप्रामाणिक,गुप्त व्यवहार करने वाली है। "
(जातककथा ६२)

इस प्रकार से हम स्त्रियों की धूर्तता के बारे में सीखते हैं।ऐसा कौन सा अपराध है,जो वो नहीं कर सकतीं!और अपने पतियों को धोखा देने के लिये कौन सी प्रतिज्ञा वे नहीं लेतीं!कितनी दुष्टहृदय वाली होती हैं वे!इस लिये ऐसा कहा जाता है-वे एक ऐसा लिंग है जो धूर्त है।इस प्रकार से अज्ञेय और अनिश्चित है-जैसाकि मछलियों का जल में चलने का मार्ग है।स्त्रिजाति सत्य को झूठ,और झूठ को सत्य समझती हैं।नये-नये चरने की जगह ढूँढ़ने वाली गायों की तरह वे एक पुरुष से दूसरे पुरुष के पास जाती हैं।मिट्टी की तरह अस्थिर,सांप की तरह क्रूर ये स्त्रियां सब जानती हैं,सब जानती हैं!"
( सुत्तपिटक,जातककथा, अंधभूत जातक नंबर ६२)


Such, we learn, is the wickedness of women. What crime will they not commit; and then, to deceive their husbands, what oaths will they not take—aye, in the light of day—that they did it not! So false-hearted are they! Therefore has it been said—
A sex composed of wickedness and guile,
Unknowable; uncertain as the path
Of fishes in the water,—womankind
Hold truth for falsehood, falsehood for the truth!
As greedily as cows seek pastures new,
Women, unsated, yearn for mate on mate.
As sand unstable, cruel as the snake,
Women know all things; naught from them is hid!
Stories of the Buddha’s Former Births
Book 1 Ekanipāta
62. Andabhuta Jātaka




निष्कर्ष- इस प्रकार हम देखते हैं कि गौतम बुद्ध ने स्त्रियों को काला सांप,निर्लज्ज,व्यभिचारिणी आदि अनेक अशोभनीय वचन कहे हैं। स्त्रियों को बुद्ध ने कोई विशेष अधिकार नहीं दिये;उनको हर जगह बौद्ध भिक्षुकों से निम्न स्तर का रखा है।१०० वर्ष की भिक्षणी भी अपने से कम आयु वाले भिक्षु से छोटी है!स्त्रियों को बुद्ध,ब्रह्मा,इंद्र या राजा बनने तक का कोई अधिकार नहीं है।
क्या किसी नवबौद्ध में सामर्थ्य है कि इन सब बौद्ध साहित्य के प्रमाणों को झूठा साबित कर सके?यदि नहीं,तो बहाने बनाना बंद करें,कि बौद्ध साहित्य में स्त्री विरोधी बातें नहीं हैं।


इस प्रकार से वैदिक धर्म को स्त्री-विरोधी कहने वाले नवबौद्धों का मत ही स्त्रियों का सबसे बड़ा शत्रु सिद्ध होता है।अतः इस तरह के स्त्रीनिंदक विचारों से बचकर वैदिक विचारों को अपनना चाहिए, जिसमें स्त्रियों को 'ब्रह्मा' तक कहा गया है।


धन्यवाद ।


संदर्भ ग्रंथ एवं स्रोत-


त्रिपिटक साहित्य- suttacentral.net से




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Special thanks to nastikwadkhandan blog author for info











हिन्दू धर्म में नारी का स्थान













हिन्दू धर्म औरतों को पूरा सम्मान और अधिकार देता है :-

महाभारत से प्रमाण -

"एक बेटी और एक बहू के बीच कोई अंतर नहीं है " .
(महाभारत 4 /72/6)

वाल्मीकि रामायण से प्रमाण -

वाल्मीकि रामायण में माता सीता श्री राम के पीछे पीछे घूंघट मे चलने वाली सामान्य स्त्री नहीं हैं बल्कि वो श्रीराम के आगे आगे चलती हैं –
राम और लक्ष्मण यमुना नदी के किनारे पर चलने लगे और इस बार फिर माता सीता उनमें सबसे आगे चल रही थीं ।
( वाल्मीकि रामायण .2/55/12)

मनुस्मृति से प्रमाण -

1-जिस समाज या परिवार में स्त्रियों पूजा होती है , वहां देवता और सुख़- समृद्धि निवास करते हैं और जहां इनका सम्मान नहीं होता, वहां अनादर करने वालों के सभी काम निष्फल हो जाते हैं।(मनुस्मृति 3/56)
2-पिता, भाई, पति या देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री या भाभी को हमेशा यथायोग्य मधुर-भाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रखना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार का क्लेश नहीं पहुंचने देना चाहिए। -(मनुस्मृति 3/55)
3- जिस कुल में स्त्रियां अपने पति के गलत आचरण, अत्याचार या व्यभिचार आदि दोषों से पीड़ित रहती हैं। वह कुल शीघ्र नाश को प्राप्त हो जाता है और जिस कुल में स्त्री-जन पुरुषों के उत्तम आचरणों से प्रसन्न रहती हैं, वह कुल सर्वदा बढ़ता रहता है। -(मनुस्मृति 3/57)
4-जो पुरुष, अपनी पत्नी को प्रसन्न नहीं रखता, उसका पूरा परिवार ही अप्रसन्न और शोकग्रस्त रहता है और यदि पत्नी प्रसन्न है तो सारा परिवार प्रसन्न रहता है। – (मनुस्मृति 3/62)
5- पुरुष और स्त्री एक-दूसरे के बिना अपूर्ण हैं, अत: साधारण से साधारण धर्मकार्य का अनुष्ठान भी पति-पत्नी दोनों को मिलकर करना चाहिए।-(मनुस्मृति 9/96)

यजुर्वेद से प्रमाण -

1-स्त्रियों की सेना हो और उन्हें युद्ध में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें
(यजुर्वेद 17/ 45)
2-स्त्री और पुरुष दोनों को शासक चुने जाने का समान अधिकार है
(यजुर्वेद 20/9 )
3-शासकों की स्त्रियां अन्यों को राजनीति की शिक्षा दें | जैसे राजा, लोगों का न्याय करते हैं वैसे ही रानी भी न्याय करने वाली हों |
(यजुर्वेद 10.26 )

अथर्ववेद से प्रमाण -

1-बह्मचर्य सूक्त -इसमें कन्याओं को बह्मचर्य और विद्याग्रहण के पश्चात् ही विवाह के लिए कहा गया है
(अथर्ववेद - 11/5/18)
2-हे स्त्री! तुम हमें बुद्धि से धन दो विदुषी,सम्माननीय, विचारशील, प्रसन्नचित्त स्त्री सम्पत्ति की रक्षा और वृद्धि करके घर में सुख लाती है
(अथर्ववेद - 7/48/2)
3-हे वधु ऐश्वर्य की अटूट नाव पर चढ़ कर अपने पति को सफलता के तट पर ले चलो
(अथर्ववेद - 2/36/5).
4-हे पत्नी अपने सौभाग्य के लिए मैं तुम्हारा हाथ पकड़ता हूँ।
(अथर्ववेद -14/1/50)
5-सुनिश्चित करें कि ये महिलाएं कभी भी दुःख से रोएं नहीं। उन्हें सभी बीमारियों से मुक्त रखें और उन्हें पहनने के लिए दें।
(अथर्ववेद -12/2/31)
6-हे पत्नी! अपने पति के परिवार कि रानी बनें और सभी की प्रबंधक बनें।
(अथर्ववेद -14/1/20)

ॠग्वेद से प्रमाण -

1-हे पुरुषों और महिलाओं! एक विद्वान महिला जिसने व्याकरण, व्युत्पत्ति आदि के साथ-साथ एक, दो या चार वेदों या चार वेदों और चार उपवेदों का अभ्यास किया है या पढ़ाया है और पूरी दुनिया में ज्ञान फैलाती है और लोगों की अज्ञानता को दूर करती है, जो पूरे विश्व के लिए खुशी का स्रोत है। वेदों के सभी भागों का अध्ययन और शिक्षा देने वाली महिला सभी मनुष्यों के लिए प्रगति लाती है
(ॠग्वेद-1/164/41)
2-ऋग्वेद में अनेक ऋषिकाएँ न केवल वेदों को पढ़ती थी, उनके रहस्य को समझती थी अपितु उनका प्रचार भी करती थी जैसे सूक्त 10 /134, 10/40, 8/91, 10/95,10/107, 10/109, 10/154, 10/159,5/28 आदि जिनकी ऋषिकाएँ गोधा,घोषा, विश्ववारा, अपाला, उपनिषत्, निषत्, रोमशा आदि हुई हैं। ऋषिकायों को ब्रह्मवादिनी भी कहा जाता था और इनका नियमपूर्वक उपनयन, वेदाध्ययन, गायत्री मंत्र का उपदेश प्रदान आदि होता था। Writer - Hari Maurya

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