क्या बुद्ध आर्य थे

क्या बुद्ध आर्य थे


आर्यो को विदेशी कहने वालो भगवान् काल्पनिक बुद्ध ने तो स्वयं को आर्य जाती में उत्पन्न बताया है , तो फिर उनका देशीकरण कैसे हो गया ? अब वही रटा रटाया हुआ वाक्य मत बोलना कि ये भी ब्राम्हणों ने ही लिखा है

==बौध्द ग्रंथो मे बुध्द खुद को आर्य कहता है==

-ययोहं भगिनि! अरियाय जातिया जातो,नाभिजानामि सच्चिच्च पाण जीविता वोरोपेता।तेन सच्चेन सोत्थि ते होतु सोत्थि गबभस्साती।दैनिक सुत्तपठन / पृष्ट स. 134
अर्थात – बुद्ध ने कहा ,…. बहिन ! जब से मैने आर्य जाति में जन्म लिया है तब से मैं जानबूझकर जीव् हिंसा करने की बात नही जनता । उस सत्य वचन से तेरा कल्याण हो और तेरे गर्भ का भी कल्याण हो ।

==बौध्द ग्रंथो मे बुध्द खुद को ब्राह्मण कहता है==
कायेन मनसा वाचाय नत्थि दुक्कतं,
संबुतं तीहि ठानेही अहम जातिया ब्राह्रणं

       -(श्लोक २२ -२६ महासुदर्शन सुत्त)
अर्थात -काया मन वाणी से कोई दुस्कृत नहीं किया जिसका तीनों कर्म फल सुरक्षित है उसी ब्राह्मण जाति से हूं।

सुन्दरिक भारद्वाज सुत्त मेँ कथा है कि सुन्दरिक भारद्वाज जब यज्ञ समाप्त कर चुका तो वह किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण
को यज्ञ शेष देना चाहता था। उसने संन्यासी बुद्ध को देखा। उसने उनकी जाति पूछी तो बुध्द कहा कि मैँ ब्राह्मण हूं और उसे सत्य उपदेश देते हुए कहा-
“यदन्तगु वेदगु यञ्ञ काले। यस्साहुतिँल ले तस्स इज्झेति ब्रूमि।।”
अर्थात् – वेद को जाननेवाला जिसकी आहुति को प्राप्त करे उसका यज्ञ सफल होता है ऐसा मैँ कहता हूं।



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Publisher - Hari Maurya

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