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وَحَدَّثَنَا سَهْلُ بْنُ عُثْمَانَ، أَخْبَرَنِي عُقْبَةُ بْنُ خَالِدٍ السَّكُونِيُّ، عَنْ عُبَيْدِ اللَّهِ، عَنْ
نَافِعٍ، عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، قَالَ حَرَّقَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم نَخْلَ بَنِي النَّضِيرِ.
अब्दुल्लाह उमर ने बताया कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने बानू नादिर के ताड़ के पेड़ों को जला दिया।
(सहीह मुस्लिम : पुस्तक- 19 हदीस - 4326)
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وَعَنْ اِبْنِ عُمَرَ رَضِيَ اَللَّهُ عَنْهُمَا قَالَ: { حَرَقَ رَسُولُ اَللَّهِ - صلى الله عليه وسلم -نَخْلَ بَنِي اَلنَّضِيرِ, وَقَطَعَ } مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ 1 .
इब्न 'उमर ने बताया कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने बानू-नादिर के ताड़ के पेड़ों को जला दिया और उन्हें काट दिया।
(बुलुग अल-मरामी : किताब 11, हदीस 1317)
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حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ رُمْحٍ، أَنْبَأَنَا اللَّيْثُ بْنُ سَعْدٍ، عَنْ نَافِعٍ، عَنِ ابْنِ عُمَرَ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم حَرَّقَ نَخْلَ بَنِي النَّضِيرِ وَقَطَعَ . وَهِيَ الْبُوَيْرَةُ فَأَنْزَلَ اللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ {مَا قَطَعْتُمْ مِنْ لِينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَائِمَةً } الآيَةَ .
इब्न उमर से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने बानू नादिर के ताड़ के पेड़ों को जला दिया, और बुवैरा (उनके बगीचे का नाम) को काट दिया। तब अल्लाह ने शब्दों को प्रकट किया:
"क्या तुमने (ऐ मुसलमानों ) खजूर के पेड़ों (काफिरों के) को काट दिया, या तुमने उन्हें खड़ा छोड़ दिया ..." [59:5]
(सुन्न इब्न माजाह -4 : 24 : 2844)
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وَعَنِ ابْنِ عُمَرَ: أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَطَعَ نَخْلَ بني النَّضيرِ وحرَّقَ وَلها يقولُ حسَّانٌ: وَهَانَ عَلَى سَرَاةِ بَنِي لُؤَيٍّ حَرِيقٌ بِالْبُوَيْرَةِ مُستَطيرُ وَفِي ذَلِكَ نَزَلَتْ (مَا قَطَعْتُمْ مِنْ لِينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَائِمَةً عَلَى أُصُولِهَا فَبِإِذْنِ اللَّهِ)
इब्न उमर ने बताया कि अल्लाह के रसूल ने नादिर के ताड़ के पेड़ों को काट दिया और उन्हें जला दिया। उस पर हसन कहते हैं:
नादिर के रईसों ने अल-बुवैरा में व्यापक रूप से हुए विस्फोट को हल्के ढंग से व्यवहार किया। उसके बारे में नीचे आया, "जिस खजूर के पेड़ों को तुमने काटा या उनकी जड़ों पर खड़ा छोड़ दिया, वह अल्लाह की अनुमति से था" (अल-कुरान 59:5)।
(मिश्कत अल-मसाबीह : पुस्तक 19, हदीस 156)
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حَدَّثَنَا آدَمُ، حَدَّثَنَا اللَّيْثُ، عَنْ نَافِعٍ، عَنِ ابْنِ عُمَرَ ـ رضى الله عنهما ـ قَالَ حَرَّقَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم نَخْلَ بَنِي النَّضِيرِ وَقَطَعَ وَهْىَ الْبُوَيْرَةُ فَنَزَلَتْ {مَا قَطَعْتُمْ مِنْ لِينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَائِمَةً عَلَى أُصُولِهَا فَبِإِذْنِ اللَّهِ}
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने अल-बुवैरा नामक स्थान पर बानी अल-नादिर के खजूर के पेड़ जलाए और काट दिए। अल्लाह ने फिर खुलासा किया: "आपने खजूर के पेड़ों (दुश्मन के) को क्या काट दिया या आपने उन्हें उनके तनों पर खड़ा छोड़ दिया। यह अल्लाह की अनुमति से था।" (59.5)
(सहीह बुख़ारी- 5 : 59 : 365)
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कुरान भी काफिरो के पेड़ों को काटने की बात कहता है ..आयतों को पढ़े-
(कुरान-59:3) وَلَوْلَا أَن كَتَبَ اللَّهُ عَلَيْهِمُ الْجَلَاءَ لَعَذَّبَهُمْ فِي الدُّنْيَا ۖ وَلَهُمْ فِي الْآخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ
यदि अल्लाह ने उनके लिए देश निकाला न लिख दिया होता तो दुनिया में ही वह उन्हें अवश्य यातना दे देता, और आख़िरत में तो उनके लिए आग की यातना है ही।
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(कुरान-59:4) ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ شَاقُّوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۖ وَمَن يُشَاقِّ اللَّهَ فَإِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का मुक़ाबला करने की कोशिश की। और जो कोई अल्लाह का मुक़ाबला करता है तो निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है।
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(कुरान-59:5 ) مَا قَطَعْتُم مِّن لِّينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَائِمَةً عَلَىٰ أُصُولِهَا فَبِإِذْنِ اللَّهِ وَلِيُخْزِيَ الْفَاسِقِينَ
तुमने खजूर के जो वृक्ष काटे या उन्हें उनकी जड़ों पर खड़ा छोड़ दिया तो यह अल्लाह ही की अनुज्ञा से हुआ (ताकि ईमानवालों के लिए आसानी पैदा करे) और इसलिए कि वह अवज्ञाकारियों को रुसवा करे।
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