इस्लाम में मुखयतया चार प्रकार की काननू व्यवस्था है: इनके अनुसार जिहाद का अर्थ गैर-मुसलमानों को मुसलमान बनाने के लिए युद्ध करना है।
१. हनीफ़ी फिक़ह (६९९-७६७ ए. डी.)- ”जिहाद का मतलब है अपनी जान, माल और वाणी से अल्लाह के मार्ग में लड़ने के लिए शामिल होना” तथा ”गैर-मुसलमानों को सच्चे मज़हब इस्लाम की ओर आने का निमंत्रण देना और यदि वे इस सच्चे मज़हब को स्वीकारने के लिए तैयार न हों तो उनके विरुद्ध युद्ध करना है।”
२. मलिकी फिक़ह (७१५-७९५ ए. डी.)-जिहाद का अर्थ है ”मुसलमान अल्लाह के मज़हब को बढ़ाने के लिए ‘काफ़िरों’ से युद्ध करें।”
३. शफी फिक़ह (७६७-८२० ए. डी.)-”शरियाह के अनुसार जिहाद का मतलब है ”अल्लाह के मार्ग में लड़ने के लिए जी तोड़ कोशिश करना।”
४. हमबाली फिक़ह (७८०-८५५ ए. डी.)-”जिहाद का मतलब है ”गैर-मुसलमानों से युद्ध करना।” (जिहाद फिक्जे़शन, पृ. २१)
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